सनातनियों! धर्म को पढ़ो और समझो।

सनातन धर्म में एक बहुत बड़ी खूबसूरती है, कि यहां

आप को पूरी आजादी प्रदान की गई है। इश्वर प्राप्ति की 108 विधियां हैं, आप अपनी सुविधानुसार पूजा पद्धति अपना सकते हैं। यहां किसी एक के प्रति कटरता का सिद्धांत नहीं।

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दूसरे लोगों के पीछे लगकर आप प्रत्येक पूजा पद्धति या ब्राह्मण को अंधविश्वास के नाम पर मत कोसो।

जब ब्राह्मण घर में हवन-यज्ञ व पूजा पाठ के लिए जो सामग्री मंगवाता है,तो उसके पीछे आध्यात्म के साथ साथ अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का ध्येय होता है।

पूजा पाठ के लिए किरयाना का समान मंगवाया जाता है, जिससे शहर के किरयाना दुकानदार की बिक्री हुई। फल से फल वाले की बिक्री, फूल से फूल बेचने वालों की बिक्री, मिट्टी के कुल्हड़ से बर्तन बनाने वाले कुम्हार की बिक्री होती है, कपड़े से कपड़े वाले दुकानदारों की सैल होती है। मतलब पूजा पाठ से वातावरण शुद्धि व मन की शांति के साथ साथ शहर की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

मैंने की बार हिन्दू धर्म व ब्राह्मण का विरोध करने वाले दुकानदारों को यह कहते सुना है कि आज तो पूरा दिन एक रुपए की बिक्री नहीं हुई थी, लेकिन जाते जाते हवन पूजन का समान लेने वाला ग्राहक आ गया,सुबह दुकान का किराया चूका दूंगा।

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इस लिए जब हिन्दू धर्म में कोई अंधविश्वास व हमारे धर्मगुरु ब्राह्मण पर कोई टीका टिप्पणी करें तो तर्क सहित चर्चा करो। न कि सामने वाले के कुतर्क को स्वीकार करके,रटी रटाई बात आप बोलने लग जाओ।

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आज दैनिक भास्कर ने हिन्दू धर्म की विशेषता पर एक लेख लिखा है,इसे पढ़े व जाने कि हमारा धर्म कितना सूंदर है।

लेकिन समस्या यह है कि हम अपने धर्म की खासियत के बारे में जानते नहीं,और न जानना चाहते। और दूसरों के यहां ताक झांक करते हैं। या प्रचार प्रसार करते हैं।

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